BA Semester-5 Paper-2B History - Socio and Economic History of Medieval India (1200 A.D-1700 A.D) - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.)

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2788
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मुगलकालीन व्यापारिक मार्गों और यातायात के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

व्यापार मार्ग और यातायात के साधन

अंतर- प्रांतीय और विदेशी व्यापार के लिए व्यवस्थित व्यापारिक मार्ग और विकसित यातायात व्यवस्था की बहुत आवश्यकता थी। इस भाग में हम इन दो मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे, जिनका वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए खास महत्व है।

अंतर्देशीय व्यापारिक मार्ग

17वीं शताब्दी के आरंभ में भारत के विभिन्न वाणिज्यिक स्थलों के व्यापारिक मार्गों से जोड़ने में मुगल सम्राटों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

आमतौर पर सड़कों की देखभाल राज्य या क्षेत्र विशेष के राजा / स्वायत्त सरदार किया करते थे। इन मार्गों के बीच कई नदियाँ पड़ती थीं, जिनको घाटों पर नांव द्वारा पार किया जाता था और कभी-कभी पुल भी बनाए जाते थे। इनका निर्माण और देख-रेख राज्य या कुलीन वर्ग किया करता था। वर्षा ऋतु में इन सड़कों पर यात्रा करना कठिन कार्य होता था क्योंकि मानसून के दौरान सड़कें खराब हो जाती थीं। कई यात्रियों ने बरसात के दौरान सूरत - बुरहानपुर मार्ग की बिगड़ी स्थिति का उल्लेख किया है। सड़कों की पहचान बताने और दूरी बताने के लिए राज्य ने जगह-जगह पर कोस मीनारें बनाई थीं। पर हमारे स्रोत बताते हैं कि उन्हीं मार्गों पर कोस मीनारें बनाई जाती थीं जो अधिक उपयोग में आते थे।

सभी प्रमुख मार्गों पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सरायें होती थीं। व्यापारी और यात्रियों इनमें ठहरा करते थे। रहने के अलावा बड़ी सरायों में यात्रियों के सामान को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रखने की भी व्यवस्था थी।

मुगल काल में कुछ प्रमुख व्यापारिक मार्ग निम्न प्रकार थे-

आगरा-दिल्ली- काबुल मार्ग

आगरा-फरीदाबाद-दिल्ली - सोनीपत- पानीपत - करनाल-अंबाला - लुधियाना-फतेहपुर- लाहौर - रोहतासगढ़ - रावलपिंडी - शमसाबाद - पेशावर - फतेहाबाद - काबुल

अगरा-बुरहानपुर-सूरत मार्ग

आगरा- धौलपुर-ग्वालियर - नरवर - सिरोंज - हंडिया - बुरहानपुर - तलनेर नंदुरबार- किर्का सूरत

सूरत-अहमदाबाद-आगरा

सूरत-भडौंच-बड़ौदा -अहमदाबाद - पालमपुर - जालौर - मेड़ता - लुडाना - हिंडौन - फतेहपुर- सीकरी-आगरा

आगरा-पटना- बंगाल मार्ग

आगरा-फिरोजाबाद- इटावा-सराय

शहजादा - इलाहाबाद - बनारस-सहसराम - दाउदनगर-पटना-मुंगेर--भागलपुर-राजमहल-दामपुर -ढाका

आगरा से लेकर पंजाब तक नदी मार्ग, थल मार्ग के लगभग समानांतर था।

विदेशी व्यापार के लिए मार्ग

विदेशी और भारतीय व्यापारी जल और थल दोनों मार्गों का उपयोग करते थे।

थल मार्ग

मध्यकाल का सबसे प्रमुख थल मार्ग 'बृहद रेशम मार्ग' ('Great Silk Route') था। यह 'बृहद रेशम मार्ग' बीजिंग से शुरू होकर काशगर, समरकंद, बल्ख और काबुल होते हुए मध्य एशिया से गुजरता था। भारतीय थल मार्ग इस बृहद मार्ग से लाहौर में जाकर मिलता था। तत्पश्चात् मुल्तान और कांधार से गुजरता हुआ यह यज्द और इस्फहान होते हुए ईरान में प्रवेश करता था, बगदाद और यूफ्रेट्स को पार करने के बाद यह एलेप्पो पहुंचता था। वहाँ से यूरोपवासी वस्तुओं को जहाजों में लाद कर ले जाया करते थे।

यातायात के साधन

यहां यातायात के साधनों पर विचार करते हुए हम केवल वाणिज्य के काम में आने वाले साधनों पर ही विचार करेंगे।

थल यातयात

यातायात में बैलों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन पर सामान लादकर ढोया जाता था। इस काल में इस बात का हवाला मिलता है कि बंजारों के एक व्यापारिक कारवां में 10,000 से 20,000 बोझा ढोने वाले जानवर शामिल होते थे जो अनाज ढोते थे। इन्हें टांडा कहते थे। बंजारों के अतिरिक्त दूसरे व्यापारी भी माल ढोने के लिए इनका उपयोग करते थे। बैलगाड़ियों को भी माल के यातायात में प्रयुक्त किया जाता था। एक बैल चार मन और एक बैलगाड़ी 40 मन तक माल ढो सकती थी। बैलगाड़ियों को खींचने वाले बैल 20 से 30 दिन तक बिना किसी रुकावट के और प्रतिदिन 20 से 25 मील चल सकते थे। देश के पश्चिमी हिस्से में सामान ढोने के लिए ऊंटों का उपयोग किया जाता था। वे स्थल मार्ग के रास्ते माल ढोकर ईरान और मध्य एशिया तक पहुंचाते थे।

ऊंचे पहाड़ी इलाकों पर भारी सामान ढोने के लिए पहाड़ी घोड़ों, खच्चरों और गधों का उपयोग किया जाता था। यहाँ आदमी भी भार ढोते थे।

नदी यातायात

भारत में नदियों की बहुलता थी और इनका व्यापारिक मार्ग के रूप में उपयोग होता था। बंगाल और सिंध में नौकाओं का खूब उपयोग होता था। आगरा और बंगाल के बीच नौकाओं से काफी माल आता-जाता था। आगरा से चली नौकायें यमुना के रास्ते इलाहबाद पहुंचती थीं वहां संगम पर वह गंगा मार्ग पकड़कर बंगाल पहुंच जाती थीं। समकालीन स्रोत आगरा और बंगाल के बीच बड़ी संख्या में नौकाओं के चलन की सूचना देते थे। मैनरीक यह बताते हैं कि राजमहल में लगभग 2000 नौकाएँ तट पर खड़ी देखी जा सकती थीं। हमारे स्रोतों के अनुसार सिंध में 40,000 नावें प्रयोग में आती थीं।

पटना और हुगली के बीच चलने वाले 'पटेला' (एक प्रकार की चपटी नाव) पर 120 से 200 टन तक माल लादा जा सकता था। माल ढोने वाली नौकएँ 1000 से 2000 मन तक सामान ढो सकती थीं।

नदी के वेग के साथ चलते समय इनकी गति तेज होती थी। आमतौर पर इसमें थलमार्ग की अपेक्षा आधा समय लगता था। इसके अलावा नदी यातायात सस्ता भी था। उदाहरण के लिए, नदी के जरिए मुल्तान से थट्टा तक माल ले जाने का खर्च 3/4 रुपये प्रति मन और स्थल मार्ग से इससे कम दूरी के लिए यह खर्च 2 रुपये प्रति मन होता था।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सल्तनतकालीन सामाजिक-आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सल्तनतकालीन केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में प्रांतीय शासन प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- सल्तनत के सैन्य-संगठन पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत काल में उलेमा वर्ग की समीक्षा कीजिए।
  7. प्रश्न- सल्तनतकाल में सुल्तान व खलीफा वर्ग के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  8. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- मुस्लिम राजवंशों के द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजतंत्र की विचारधारा स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के स्वरूप की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- सल्तनत काल में 'दीवाने विजारत' की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  13. प्रश्न- सल्तनत कालीन राजदरबार एवं महल के प्रबन्ध पर एक लघु लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- 'अमीरे हाजिब' कौन था? इसकी पदस्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  15. प्रश्न- जजिया और जकात नामक कर क्या थे?
  16. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में राज्य की आय के प्रमुख स्रोत क्या थे?
  17. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में सुल्तान की पदस्थिति स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन न्याय-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- 'उलेमा वर्ग' पर एक टिपणी लिखिए।
  21. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों में सल्तनत का विशाल साम्राज्य तथा मुहम्मद तुगलक और फिरोज तुगलक की दुर्बल नीतियाँ प्रमुख थीं। स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- विदेशी आक्रमण और केन्द्रीय शक्ति की दुर्बलता दिल्ली सल्तनत के पतन का कारण बनी। व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- अलाउद्दीन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ क्या थीं? अलाउद्दीन के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि उसने इन कठिनाइयों से किस प्रकार निजात पाई?
  24. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार व बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का विवरण दीजिए। उसकी दक्षिणी विजय की सफलता के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  27. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'खिलजी क्रांति' से क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  30. प्रश्न- खिलजी शासकों के काल में स्थापन्न कला के विकास पर टिपणी लिखिए।
  31. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का एक वीर सैनिक व कुशल सेनानायक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
  32. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
  33. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजनीति क्या थी?
  34. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  35. प्रश्न- अलाउद्दीन की हिन्दुओं के प्रति नीति स्पष्ट करते हुए तत्कालीन हिन्दू समाज की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व सुधार नीति के विषय में बताइए।
  37. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक विजय का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की महत्त्वाकांक्षाओं को बताइये।
  39. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों का लाभ-हानि के आधार पर विवेचन कीजिये।
  40. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की हिन्दुओं के प्रति नीति का वर्णन कीजिये।
  41. प्रश्न- सूफी विचारधारा क्या है? इसकी प्रमुख शाखाओं का वर्णन कीजिए तथा इसके भारत में विकास का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों, विशेषताओं और मध्यकालीन भारतीय समाज पर प्रभाव का मूल्याँकन कीजिए।
  43. प्रश्न- मध्यकालीन भारत के सन्दर्भ में भक्ति आन्दोलन को बतलाइये।
  44. प्रश्न- समाज की प्रत्येक बुराई का जीवन्त विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है। विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
  46. प्रश्न- “मध्यकालीन युग में जन्मी, मीरा ने काव्य और भक्ति दोनों को नये आयाम दिये" कथन की समीक्षा कीजिये।
  47. प्रश्न- सूफी धर्म का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा।
  48. प्रश्न- राष्ट्रीय संगठन की भावना को जागृत करने में सूफी संतों का महत्त्वपूर्ण योगदान है? विश्लेषण कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी मत की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के प्रभाव व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  51. प्रश्न- भक्ति साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
  53. प्रश्न- भक्ति एवं सूफी सन्तों ने किस प्रकार सामाजिक एकता में योगदान दिया?
  54. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के कारण बताइए
  55. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की क्या दशा थी? इस काल की एकमात्र शासिका रजिया सुल्ताना के विषय में बताइये।
  56. प्रश्न- "डोमिगो पेस" द्वारा चित्रित मध्यकाल भारत के विषय में बताइये।
  57. प्रश्न- "मध्ययुग एक तरफ महिलाओं के अधिकारों का पूर्णतया हनन का युग था, वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं ने इसी युग में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज करायी" कथन की विवेचना कीजिये।
  58. प्रश्न- मुस्लिम काल की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन कीजिये।
  59. प्रश्न- नूरजहाँ के जीवन चरित्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी जहाँगीर की गृह व विदेशी नीति के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा कैसी थी?
  61. प्रश्न- 1200-1750 के मध्य महिलाओं की स्थिति को बताइये।
  62. प्रश्न- "देवदासी प्रथा" क्या है? व इसका स्वरूप क्या था?
  63. प्रश्न- रजिया के उत्थान और पतन पर एक टिपणी लिखिए।
  64. प्रश्न- मीराबाई पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- रजिया सुल्तान की कठिनाइयों को बताइये?
  66. प्रश्न- रजिया सुल्तान का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  67. प्रश्न- अक्का महादेवी का वस्त्रों को त्याग देने से क्या आशय था?
  68. प्रश्न- रजिया सुल्तान की प्रशासनिक नीतियों का वर्णन कीजिये?
  69. प्रश्न- मुगलकालीन आइन-ए-दहशाला प्रणाली को विस्तार से समझाइए।
  70. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व का निर्धारण किस प्रकार किया जाता था? विस्तार से समीक्षा कीजिए।
  71. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व वसूली की दर का किस अनुपात में वसूली जाती थी? ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर क्षेत्रवार मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व प्रशासन का कालक्रम विस्तार से समझाइए।
  73. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व के अतिरिक्त लागू अन्य करों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान मराठा शासन में राजस्व व्यवस्था की समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  76. प्रश्न- मुगल शासन में कृषि संसाधन का वर्णन करते हुए करारोपण के तरीके को समझाइए।
  77. प्रश्न- मुगल शासन के दौरान खुदकाश्त और पाहीकाश्त किसानों के बीच भेद कीजिए।
  78. प्रश्न- मुगलकाल में भूमि अनुदान प्रणाली को समझाइए।
  79. प्रश्न- मुगलकाल में जमींदार के अधिकार और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- मुगलकाल में फसलों के प्रकार और आयात-निर्यात पर एक टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- अकबर के भूमि सुधार के क्या प्रभाव हुए? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व में राहत और रियायतें विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- मुगलों के अधीन हुए भारत में विदेशी व्यापार के विस्तार पर एक निबंध लिखिए।
  84. प्रश्न- मुग़ल काल में आंतरिक व्यापार की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कीजिए।
  85. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापारिक मार्गों और यातायात के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मुगलकाल में व्यापारी और महाजन की स्थितियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- 18वीं शताब्दी में मुगल शासकों का यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  88. प्रश्न- मुगलकालीन तटवर्ती और विदेशी व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  89. प्रश्न- मुगलकाल में मध्य वर्ग की स्थिति का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  90. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  91. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार में दलालों की स्थिति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- मुगलकालीन भारत की मुद्रा व्यवस्था पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  93. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान बैंकिंग प्रणाली के विकास और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली हुण्डी व्यवस्था को समझाइए।
  95. प्रश्न- मुगलकालीन मुद्रा प्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- मुगलकाल में बैंकिंग और बीमा पर प्रकाश डालिये।
  97. प्रश्न- मुगलकाल में सूदखोरी और ब्याज की दर का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- मुगलकालीन औद्योगिक विकास में कारखानों की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- औरंगजेब के समय में उद्योगों के विकास की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- मुगलकाल में उद्योगों के विकास के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के पद और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान कारीगरों की आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- 18वीं सदी के पूर्वार्ध में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति की व्याख्या कीजिए।
  103. प्रश्न- मुगलकालीन कारखानों का जनसामान्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  104. प्रश्न- यूरोपियन इतिहासकारों के नजरिए से मुगलकालीन कारीगरों की स्थिति प

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